कक्षा-कार्य
क्रिया
क्रिया’ का अर्थ होता है - काम करना।
भाषा में वाक्य क्रिया से पूरा होता है। क्रिया किसी कार्य के करने या होने को दर्शाती है। क्रिया को करने वाला कर्ता कहलाता है।
जिन शब्दों से किसी काम के करने या होने का पता चले, वे शब्द क्रिया कहलाते हैं |
जैसे-पढ़ना, खेलना, खाना, सोना आदि।
धातु – क्रिया का मूल रूप धातु’ कहलाता है। इनके साथ प्रत्यय जोड़कर क्रिया के सामान्य रूप बनते हैं।
जैसे :- हँस - हँसना
बोल - बोलना
पढ़ - पढ़ना
मूल धातु में ‘ना’ प्रत्यय लगाने से क्रिया का सामान्य रूप बनता है।
क्रिया के भेद
कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते हैं।
- सकर्मक क्रिया
- अकर्मक क्रिया।
वाक्य में क्रिया के होने के समय कर्ता का प्रभाव अथवा फल जिस व्यक्ति अथवा वस्तु पर पड़ता है, उसे कर्म कहते हैं, जैसे
नेहा(कर्ता) दूध (कर्म) पी रही है।(क्रिया)
1. सकर्मक क्रिया – जिन क्रियाओं के व्यापार का फल कर्म पर पड़ता है, उन्हें सकर्मक क्रिया कहते हैं |
जैसे - लड़की पत्र लिख रही है।
सकर्मक क्रियाओं के दो भेद हैं
- एककर्मक क्रिया
- द्विकर्मक क्रिया
(i) एककर्मक क्रिया – जिन सकर्मक क्रियाओं में केवल एक ही कर्म होता है, वे एककर्मक सकर्मक क्रिया कहलाती है |
जैसे - नेहा झाडू लगा रही है।
यहाँ झाडू एककर्मक क्रिया है।
(ii) द्विकर्मक क्रिया – जिन सकर्मक क्रियाओं में एक साथ दो-दो कर्म होते हैं, वे 'द्विकर्मक सकर्मक क्रिया' कहलाते हैं |
जैसे - ओजस्व अपने भाई के साथ क्रिकेट खेल रहा है।
2. अकर्मक क्रिया – जिस क्रिया में कर्म नहीं पाया जाता है। वह अकर्मक क्रिया कहलाती है |
जैसे - प्रणव इंजीनियर है।
संरचना के आधार पर क्रिया के.भेद :-
संरचना के आधार पर क्रिया के चार भेद होते हैं |
- सामान्य क्रिया
- संयुक्त क्रिया
- प्रेरणार्थक क्रिया
- पूर्वकालिक क्रिया।
(i) सामान्य क्रिया – वाक्य में जब एक ही सामान्य क्रिया पाई जाती है, उसे सामान्य क्रिया कहते हैं |
जैसे - बच्चा रोया |
(ii) संयुक्त क्रिया – दो या दो से अधिक क्रियाएँ मिलकर जब किसी एक पूर्ण क्रिया का बोध कराती हैं, तो उन्हें संयुक्त क्रिया कहते हैं |
जैसे - बच्चे दिनभर खेलते रहते हैं।
(iii) प्रेरणार्थक क्रिया – जिस क्रिया को कर्ता स्वयं न करके दूसरों को करने की प्रेरणा देता है, उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। प्रेरणार्थक क्रिया में दो कर्ता होते हैं।
जैसे - सुनना - सुनाना - सुनवाना
प्रेरणार्थक क्रिया के दो रूप हैं।
- प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया
- द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया।
(iv) पूर्वकालिक क्रिया – जिस वाक्य में मुख्य क्रिया से पहले यदि कोई क्रिया आ जाए, तो वह पूर्वकालिक क्रिया कहलाती हैं।
- पूर्वकालिक क्रिया का शब्दिक अर्थ है-पहले समय में हुई।
- पूर्वकालिक क्रिया मूल धातु में कर लगाकर बनाई जाती है |
अभ्यास - कार्य
नीचे लिखे वाक्यों में क्रिया रेखांकित करके लिखिए कि वे अकर्मक है अथवा सकर्मक हैं |
प्रश्न - २ निम्नलिखित वाक्यों में से कर्म छाँटकर लिखिए |
गृह-कार्य
प्रश्न - १ निम्नलिखित वाक्यों में से क्रिया रेखांकित करें और उसके भेद लिखिए |
प्रश्न - २ रिक्त स्थान की पूर्ती करिए |
लिंक
वीडियो
https://drive.google.com/file/d/14_fOK5hVGtQUdUok00UBP47EoQ9nvdx-/view
वर्क-बुक
https://crdcupload.s3.ap-south-1.amazonaws.com/CBSE20-21_Group1/VI/Hindi/Term%202/Kriya/WB_CB_VI_Hindi_Kriya.pdf
https://crdcupload.s3.ap-south-1.amazonaws.com/CBSE20-21_Group1/VI/Hindi/Term%202/Kriya/AS_WB_CB_VI_Hindi_Kriya.pdf
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