संवाद - लेखन ( कक्षा - कार्य )
संवाद - लेखन भी एक कला है | किसी भी विषय पर जब दो या दो से अधिक व्यक्ति बातचीत करते हैं , तो उस बात-चीत को संवाद कहते हैं | जब बात-चीत को लिखित रूप दिया जाता है, उसे संवाद-लेखन कहा जाता है |
निम्नांकित बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए |
- संवाद लिखते समय सरल भाषा का प्रयोग करना चाहिए |
- संवाद छोटे होने चाहिए |
- संवाद पात्र के स्वभाव और उसकी योग्यता के अनुसार होने चाहिए |
- संवाद लिखने वाले नाम के साथ इन में से किसी भी एक चिन्ह का प्रयोग करना चाहिए |(- , : )
उदाहरण :
प्रश्न - बाजार में बढ़ती मिलावट पर दो सहेलियों के संवाद लिखिए |
उत्तर -
राधा : नमस्ते राधा ! क्या खरीद रही हो ?
निशा : नमस्ते ! दाल खरीदने आई हूँ | दालें कितनी महँगी हो गई हैं |
राधा : हाँ , समझ ही नहीं आता। .क्या लें और क्या न लें | मिलावट भी काफी है |
निशा : दालों में कंकड़-पत्थर , आटे -मसालों में और हर चीज़ों में मिलावट नज़र आने लगी है |
राधा : फल - सब्ज़ियों में क्रृत्रिम - खाद और दवाइयाँ डालने की वजह से खाने में स्वाद ही नहीं
आता हैं | शुद्धता तो समाप्त ही होती जा रही है |
निशा : हमें लोगो में जागरूकता लानी होगी | सरकार को भी मिलावटखोरों के विरुद्ध सख्त नियम बनाने होंगे |
राधा : निशा , क्यों न हम एक जाकरूक- दल बनाऐं, जो ऐसे लोगों का पर्दाफाश करने का
बीड़ा उठाए |
बीड़ा उठाए |
निशा : सही कहा | चलो ! सभी सहेलियों को भी इसमें शामिल करते हैं |
निशा-राधा : (साथ में ) चलो ! चलो !
गृह - कार्य
प्रश्न - सुमन और सुजीत के बीच असहाय व्यक्तियों की मदद को लेकर हो रही बात-चीत को संवाद के रूप में लिखिए |
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